तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों के मुंबई अध्यक्ष हिंदी भाषी हैं। मुंबई में कांग्रेस शुरू से ही गैर मराठी नेता को कमान देती आई है। पहले 10 साल तक रजनी पटेल, फिर 25 साल तक मुरली देवड़ा और उनके बाद पिछले कुछ सालों से कृपाशंकर सिंह मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं। शरद पवार की पार्टी राकांपा के मुंबई अध्यक्ष नरेंद्र वर्मा है तो हाल ही में राज पुरोहित भाजपा के मुंबई अध्यक्ष बने हैं। वैसे, ये तीनों अध्यक्ष बातचीत में मराठी से अपने प्रेम का इजहार करते नहीं थकते। कृपाशंकर का कहना है कि मराठी मेरी मौसी है और हिंदी मेरी मां। नरेंद्र वर्मा भी खुद को मराठी संस्कृति का हिस्सा बता रहे हैं। राज पुरोहित भी मराठी मूल्यों की दुहाई देते रहते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मनपा चुनाव में ये तीनों हिंदी भाषी नेता उत्तर भारतीय वोट बैक को अपनी पार्टी के खाते में लाने में कितने कामयाब होते हैं।
तीन बड़ी पार्टियों के अध्यक्ष हिंदी भाषी
महाराष्ट्र और मराठी माणुस के हितों की दुहाई देकर उद्धव और राज ठाकरे को साथ लाने की मुहिम फिर शुरू की गई है। दो माह पहले प्रकाश वलंजू ने ‘माझी चलवल,मी महाराष्ट्रचा’(मेरा आंदोलन,मैं महाराष्ट्र का हूं) के नारे के साथ यह मुहिम शुरू की थी। इसके तहत जगह-जगह बाला साहेब के पास बैठे उद्धव व राज के होर्डिंग लगाए गए थे और पोस्टरों के माध्यम से दोनों नेताओं से साथ आने की अपील की गई थी। इस बार वलंजू ने रविवार को सौ कार्यकर्ताओं के साथ राज ठाकरे के दादर स्थित निवास ‘कृष्णा कुंज’ से उद्धव ठाकरे के बांद्रा स्थित निवास ‘मातोश्री’ तक पदयात्रा निकाली।
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जी सहमत हूँ
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