Wednesday, December 28, 2011

आओ बनाएं फर्ज़ी बॉयोडेटा!



बरसों से ये बात विवाद का विषय रही है कि आखिर बॉयोडेटा बनाते वक़्त किस अनुपात में झूठ का इस्तेमाल किया जाये ? विवाद इस बात पर नहीं है कि झूठ का इस्तेमाल किया जाये या नहीं, विवाद अनुपात पर है।

बहरहाल, इसमें भी दो स्थितियां है। पहली ये कि अगर आपकी सारी ज़िदंगी पढ़ते हुए चश्मे का नम्बर बढ़वाते गुज़री है तो हो सकता है इस सवाल का सामना न करना पड़े। लेकिन अगर कुंजिया ही पास करवाती रही है तो ज़ाहिर तौर पर आपकी माकर्शीट दिखाने लायक कम और छिपाने लायक ज़्यादा होगी। ऐसे में बॉयोडेटा बनाते वक्त आपके सामने ये चुनौती है कि शर्मनाक नम्बरों के बावजूद कैसे आप खुद को काबिल दिखाये ?


अगर आप अभी कॉलेज से निकले हैं और बॉयोडेटा में इस सवाल का सामना कर रहे हैं कि आपका करियर ऑबजैक्टिव क्या है, तो हो सकता है कि ये सवाल आपको रूला डाले। आपको खुद पर शर्म आने लगे।

अरे! ये क्या बला है। कॉलेज में फिल्में देखते वक़्त और लड़कियों को पटाने की सम्भावना पर विचार करने के बीच कभी सोचा ही नहीं कि सृष्टि में ऐसा सवाल भी है जो आपसे पूछे.. बता भाई…. तेरी ज़िंदगी का मक़सद क्या है?

अब तक जिस तरह की खुशियों की कामना में दिन गुज़ारते रहे हैं, अगर उसे ही करियर ऑबजैक्टिव में लिख दें तो हो सकता है नौकरी देने वाला आदमी जेल में डाल दें। लुच्चा कहीं का!
खैर, यही वक्त है कि जब आप अपने सीमित कम्पयूटर ज्ञान का इस्तेमाल कर कट, कॉपी, पेस्ट करें और नैट पर सर्फ करते हुए किसी और के बॉयोडेटा से करियर ऑबजैक्टिव टीप लें। वैसे भी इस ‘टीपनें’ शब्द से तो आपकी पुरानी जान-पहचान है। लिहाज़ा ज़्यादा दिक़्कत नहीं आयेगी। लेकिन इसे फाइनल करने से पहले अपने किसी पढ़े लिखे दोस्त से (अगर कोई हो तो) ये कन्फर्म करवा लें कि उसका मतलब क्या है?

इसके बाद आता है प्रोफैशनल एक्सपीरियंस। अगर आप कुछ काम कर चुके हैं तो आपको इसे भी भरना पड़ेगा। अगर काम का ज़्यादा अनुभव नहीं है तो बेझिझक आप अपने एक्सपीरियंस को तीन से गुणा कर सकते हैं। मसलन 6 महीने हैं तो आप डेढ़ साल लिख सकते हैं। साल हुआ है तो तीन साल, और डेढ़ साल हुआ है तो पांच साल भी लिखा जा सकता है। मगर जिन लोगों के पास सचमुच ज़्यादा एक्सपीरियंस है वो इस ऑपशन को ट्राई न करें। कई बार ऐसा करने से आपका टोटल एक्सपीरियंस आपकी उम्र से भी ज़्यादा हो जाता है! लिहाज़ा ध्यान रखें।

कई और फालतू बातों के अलावा आपको अपनी ताकत और कमज़ोरी भी बतानी होती है। ताकत आप कुछ भी बता सकते हैं मगर कमज़ोरी ऐसी लिखें जो आपकी ताकत ही लगे। मसलन, मुझे लगता है कि मैं बहुत भावुक इंसान हूं या मैं लोगों पर बहुत जल्दी भरोसा कर लेता हूं।

तमाम प्रपंचों के अलावा अपना एक अच्छा सा फोटो भी बॉयोडेटा के साथ लगा दें। लेकिन ध्यान रहे, वो इतना अच्छा भी न हो कि इंटरव्यू लेने वाला पूछ बैठे…. आपने यहां आपने छोटे भाई की फोटों क्यों लगा दी है ?

Friday, November 11, 2011

कीमती समय क्यों नष्ट करूं?

प्राचीन यूनान में सुकरात अपने ज्ञान और विद्वता के लिए बहुत प्रसिद्द था. सुकरात के पास एक दिन उसका एक परिचित व्यक्ति आया और बोला, “मैंने आपके एक मित्र के बारे में कुछ सुना है.”

... “दो पल रुको”, सुकरात ने कहा, “मुझे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि हम एक छोटा सा परीक्षण कर लें जिसे मैं ‘तीन छन्नियों का परीक्षण’ कहता हूँ”.

“तीन छन्नियाँ? कैसी छन्नियाँ?”, परिचित ने पूछा.

“हाँ”, सुकरात ने कहा, “मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताने से पहले हमें यह तय कर लेना चाहिए कि तुम कैसी बात कहने जा रहे हो. किसी भी बात को जानने से पहले मैं यह तीन छन्नियों का परीक्षण करता हूँ. इसमें पहली छन्नी सत्य की छन्नी है. क्या तुम सौ फीसदी दावे से यह कह सकते हो कि जो बात तुम मुझे बताने जा रहे हो वह पूर्णतः सत्य है?

“नहीं”, परिचित ने कहा, “दरअसल मैंने सुना है कि…”

“ठीक है”, सुकरात ने कहा, “इसका अर्थ यह है कि तुम आश्वस्त नहीं हो कि वह बात पूर्णतः सत्य है. चलो, अब दूसरी छन्नी का प्रयोग करते हैं जिसे मैं अच्छाई की छन्नी कहता हूँ. मेरे मित्र के बारे में तुम जो भी बताने जा रहे हो क्या उसमें कोई अच्छी बात है?

“नहीं, बल्कि वह तो…”, परिचित ने कहा.

“अच्छा”, सुकरात ने कहा, “इसका मतलब यह है कि तुम मुझे जो कुछ सुनाने वाले थे उसमें कोई भलाई की बात नहीं है और तुम यह भी नहीं जानते कि वह सच है या झूठ. लेकिन हमें अभी भी आस नहीं खोनी चाहिए क्योंकि छन्नी का एक परीक्षण अभी बचा हुआ है. और वह है उपयोगिता की छन्नी. जो बात तुम मुझे बतानेवाले थे, क्या वह मेरे किसी काम की है?”

“नहीं, ऐसा तो नहीं है”, परिचित ने कहा.

“बस, हो गया”, सुकरात ने कहा, “जो बात तुम मुझे बतानेवाले थे वह न तो सत्य है, न ही भली है, और न ही मेरे काम की है, तो मैं उसे जानने में अपना कीमती समय क्यों नष्ट करूं?”

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Saturday, October 29, 2011

खूबसूरत पराई युवती को निहारने से बचें

पराई युवती को निहारने से बचना चाहिए, उसपर अगर वह खूबसूरत भी हो तो मामला और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि इससे आपके हॉर्मोन का स्तर में सिर्फ 5 मिनट में इतना अधिक बढ़ सकता है, कि आपके दिल के लिए दर्द का सबब बन जाए।

न्यूज पेपर 'डेली मेल' ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन के शोधकर्ताओं ने अपने स्टडी में यह निष्कर्ष निकला है कि अजनबी खूबसूरत महिलाओं को देखकर पुरुष का मन विचलित हो जाता है, जो उड़ते प्लेन से नीचे कूदने जैसा है। स्टडी में कहा गया है कि इससे खून में मौजूद कॉर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर बढ़ने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मानसिक तनाव लंबे समय तक रहने से कॉर्टिसोल का स्तर लगातार बढ़ है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे हाइपर टेंशन और शरीर में कई अन्य गड़बड़ियां पैदा हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए 84 छात्रों पर अध्ययन के अंतर्गत उन्हें खूबसूरत अजनबी महिलाएं दिखाकर, उनके कॉर्टिसोल के स्तर में हुए बदलाव को दर्ज किया।

Thursday, April 28, 2011

73 Lac Crores Looted

List of Scams :
Jeep Scandal (1984)

Haridas Mundhra Scandal (1957)
KD Malviya-Sirajuddin Oil Scandal
Nagarwala Scandal (1971)
Declaration of Emergency (1975)
Sukhna Land Scandal.
Oil for Food Programme Scam
Barak Missile Scandal
Palmolein Oil Scan
Initial Public Offer (IPO) Scam
Mining Scams.
Bitumen Scams.
Cement Scandal.
IPL Scam
Animal Husbandry Scam
Satyam Software Services Scam
Tansi Land Scam
ULIP Insurance Scam
Cash for Votes Scandal
RBG Resource Scam.
Bangalore-Mysore Infrastructure Corridor Fraud
Bofors Scam
Haji Scams.
Animal Fodder Scam
Human Trafficking Scam
Chuhat Lottery Scam.
Telgi Stamp Papers Scam
Urea SCam
St. Kitts Forgery
Anantnag Transport Subsidy Scam
Yuoslav Dinar Scam
Kargil and Coffin Scam
Uday Goyal Arrow Global Agrotech Scam.
Emaar Scam
Spiritual Guru Scams.
HDW submarine Scandal
Kashmir Sex Racket Scam
Babri and Ram Mandir Scam.
Land Acquisition Scams on name of SEZ with harassment false cases.
Profident Fund scam with current corrupted judges in both supreme court and High Court
Ketan Parek Stock Market Scam
Bansali Scam
Cobbler and Shoes Scam.
Nagarjuna Finance Scam.
Dalmia DSQ Software Scam.
UTI Scam
Uday Goyal Scam
Letter of Credit (LOC) Scam
Sanjay Agrawal Home Trade Scam.
LIC Insurance Scam.
Harshad Mehta Stock Market.
Suflam Sujalam Scam.
Madhavpura Mercantile Cooperative Bank (MMCB) Scam
Hawala Transaction Scams
Global Trust BAnk Scam and Bankruptcy
Charminar Cooperative Urban Bank Scam & Bankruptcy.
Krushi Cooperative Urban Bank Scam & Bankruptcy.
Vasavi Bank Scam
Prudential Bank Scam
Nagpur District Central Cooperative Bank Scam
2010 Housing Loan Scam
Sugar Import Scam
Prefrential Allotment Scam
Meghalya Forest Scam
Fertiliser Import Scam.
Telecom Scam
SNC Lavalin Power Project Scam
Teak Plantation Swindle Scam
Scorpene Submarine Scam.
Taj Corridor Scam
Army Ration pilferage Scam
State Bank of Saurashtra Scam
Flood Relief Scam
Rice Export Scam
Bulletproof Jackets Scam
MCD Pension Scam
AICTE Scam
Medical Council of India (MCI) Scam
Rail Recruitment Scam
Nrega Scam
Siachen Scam
J & K Milk Scam
Gorshkov Scam
MPLAD Scam
PDS Scam
Rajya Sabha Vote Scam
Cash for Question in Parliament Scam
City Limouzine & Realcom Scam
Common Wealth Games Corruption
Adarsh Housing Society Scam
2G Spectrum Scam.

Friday, January 14, 2011

वाह हमारे प्रधानमंत्री जी - देश का बंटाधार निश्चित हैं

प्रधानमंत्री जी, आप कहते हैं कि लोग ज़्यादा और बेहतर खाने लगे हैं इसलिए खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ गई है और इसलिए उनकी क़ीमतें बढ़ रही हैं.
आपका कहना है कि यह सरकार की सामाजिक न्याय दिलवाने की पहल का ही नतीजा है क्योंकि देश में बहुत से लोगों को इसका फ़ायदा हुआ है, उनकी आमदानी बढ़ी और वे अच्छा खा-पी सकते हैं.
पर आख़िर कौन हैं ये लोग प्रधानमंत्री जी? और वो कौन सी योजना है जो उन्हें बेहतर जीवन दे रही है?
आपकी सरकार ने एक योजना शुरु की है जिसका नाम महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार गारंटी क़ानून (मनरेगा) है.
इस योजना के अंतर्गत गांवों में रह रहे हर परिवार के व्यक्ति को कम से कम 100 दिन का रोज़गार साल में मिलता है. अब आपने महंगाई के मद्देनज़र मेहनताना भी 100 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 120 रुपए के आसपास कर दिया है. इस तरह से देखें तो साल में हर ग्रामीण परिवार को 12 हज़ार रुपये तो मिलेंगे ही.
12 हज़ार रुपए, वाह! गांववालों की तो चांदी हो गई... लेकिन ज़रा रुकिए..12 हज़ार रुपये मतलब 32 रुपये रोज़. मान लिया जाए कि यह मनरेगा में काम करने वाले के परिवार की कुल आमदनी है.
३२ रुपया में थाली खाली 
अब आज की महंगाई देखिए. दाल, चावल से लेकर दूध, अंडे और माँस-मछली तक सभी के दाम कहाँ पहुँच गए हैं? आपकी सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि खाद्य पदार्थों की महंगाई की दर 18 प्रतिशत तक बढ़ गई है.
क्या आपने कभी सोचा है कि इस महंगाई में 32 रुपए रोज़ कमाने वाले परिवार की थाली में क्या परोसा जाता होगा?

आपके घोषित उत्तराधिकारी राहुल गांधी तो कभी-कभी दलितों के घर पर जाते रहे हैं कभी उनसे पूछिएगा कि उनकी थाली कैसे भरती है और क्या दिन में दोनों वक़्त ठीक से भरती है?
आंध्र प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक आज भी किसानों की आत्महत्या की ख़बरें आ रही हैं. जब आपकी सरकार समृद्धि फैला रही है तो ये नासमझ क्यों आत्महत्या कर रहे हैं मनमोहन जी?
कौन है वह जिसे आपकी सरकार आम आदमी कहती है?
चलिए उनकी बात करें जो आपके मनरेगा के भरोसे नहीं हैं. जो रिक्शा चलाता है, ऑटो चलाता है, ड्राइवरी करता है, दुकान में काम करता है या घरेलू काम करता है. वो बहुत कमाता है तो पाँच-सात हज़ार रुपया महीना कमाता है. चार लोगों का आदर्श परिवार भी हो तो घर का किराया देने के बाद उसके पास खाद्य सामग्री ख़रीदने के लिए कितना पैसा बचता होगा मनमोहन जी? और फिर उसे बच्चों की पढ़ाई के लिए, कपड़ों के लिए और गाहे-बगाहे होने वाली बीमारी के लिए भी तो पैसा चाहिए?

चलिए अपने राजप्रासाद से निकलिए किसी दिन चलते हैं आपके आम आदमी से मिलने.
और मनमोहन जी जब आप ऐसे बयान दें तो अपनी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी कुछ जानकारी दे दिया करें.
देखिए ना, अभी दो दिन पहले एक राष्ट्रीय कहे जाने वाले अख़बार में अपने नाम से लेख लिखा है और कहा है कि देश की 40 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे है, 9.3 करोड़ लोग झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं, 12.8 करोड़ को साफ़ पानी नहीं मिलता, 70 लाख बच्चे शिक्षा से कोसों दूर हैं.
ये तो आपके आम आदमी से भी गए गुज़रे लोग दिखते हैं.
तो फिर प्रधानमंत्री जी कौन हैं वो लोग जो बेहतर खा रहे हैं और महंगाई बढ़ा रहे हैं?
इन्हें हमारे देश की चिंता हैं पर हमारे प्रधानमंत्री को नहीं (कभी गरीबो की बस्ती में २-४ रात आम आदमी की तरह गुजारे तो पता चले)

Source : BBC (Renu Agaal)

आइये बिहार के विकास में हमसफ़र बने.

Roots To Bihar