गरीबी बड़ी संख्या में मासूमों को वक्त से पहले ही मौत के मुंह में धकेल दे रही है। उच्च आय वाले लोगों के बच्चों की तुलना में गरीबों के बच्चों के पांच साल की उम्र से पहले मरने की आशंका तीन गुना ज्यादा रहती है।
सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों की समीक्षा के लिए होने वाले संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन से पहले जारी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘सेव द चिल्डे्रन’ ने अपनी नई वैश्विक रिपोर्ट ‘ए फेयर चांस एट लाइफ’ में कहा है कि भारत और विश्व में बाल मृत्यु दर में गिरावट उच्च समुदाय के बच्चों में आई है न कि बेहद गरीब लोगों के बच्चों में। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में करीब 2.60 करोड़ बच्चे प्रतिवर्ष जन्म लेते हैं। इसमें से करीब 18.30 लाख बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन के पहले ही मौत का शिकार हो जाते हैं। इसमें से भी करीब आधे से अधिक मौतें बच्चे के जन्म लेने के एक महीने के अंदर होती हैं।
केरल में पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु दर एक हजार बच्चों में 14 है, जबकि मध्य प्रदेश में 1000 बच्चों में 92, उत्तर प्रदेश में 91 और उड़ीसा में 89 बच्चों की पांच साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते मौत हो जाती है। भारत के निम्न आय वाले इलाके में वर्ष 2008 में पांच साल की उम्र तक के 5.3 लाख बच्चों की मौत हो गई जबकि उच्च आय वाले क्षेत्र में 1.78 लाख बच्चों की मौत हुई।
1 comment:
The photo of the two children is mine. You took it without permission.
Post a Comment