अंधेरों से नही उन उजालों से डर लगता है ,क्यूंकि उन्हे देखर मेरा चाँद कहीं जा छुपता है !!मुझे बातों से नही खामोशियों से डर लगता है ,कोन सी बात है, जो वो अपने ही तक रखता है !!मुहं फेरकर कोई जाए तो क्यूं कोई शिकबा रहे ,रूबरू होकर, न कोई सताए , डर लग ता है .!!नही लगता कोई डर जो लोग दूर से मुकुराते हुए निकले ,नजदीकियां कोई बढाये तो डर लगता है !!जमाना जान पे भी हो आमादा , तो कोई डर नही ,बात जब प्यार की आ जाए तो डर लगता है !!
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