कहते हैं राजनीती में कुछ भी ग़लत नही होता और आज के भारतीय राजनीती मेंतो बिल्कुल नैतिकता बची ही नहीं है। चारों तरफ़ अनैतिकता, अधर्म, भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है। राजनेताओं के अन्दर देशप्रेम की भावना कूट-कूटके भरी होती थी अब ये गुजरे जमाने की बात हो चुकी है। १९९० तक तो भारतीयराजनीतिज्ञों की स्थिति थोडी ठीक भी थी लेकिन उसके बाद के १८ वर्षों मेंराजनीती का पुरा परिदृश्य काफी तेज़ी से बदला. हमने आर्थिक उदारीकरण काचोल पहना,आरक्षण की व्यवस्था की गई,बाबरी मस्जिद ढही,जवाब में आतंकवाद काअँधेरा साम्राज्य कायम हुआ, क्षेत्रवाद की राजनीती बढ़ी,दंगे-फसादबढे,अमीरी-गरीबी की खाई बढ़ी,भुखमरी कुपोषण,हत्या और अपराध बढे,बाहरीऔर आंतरिक सुरक्षा तार-तार हुआ,६२ सालों में पहली महिला राष्ट्रपति भीबनी और इंडिया और भारत भी बना. और इन सबने मौका दिया हमारे राजनेताओं कोखूब लूटने-खसोटने का,जातिवाद'धर्मवाद,क्षेत्रवाद की राजनीती कर वोटबटोरने का. राजनीती का अपराधीकरण हो चुका है.दुनिया में सबसे ज्यादाअपराधियों की शरणस्थली बन चुकी है हमारी विधायिका. पूरे देश मेंधार्मिक,राजनितिक उन्माद पुरे उफान पर है और उसमें मारी जा रही बेकसूरजनता. हमारे नेताओं में तनिक भी बेशर्मी बची ही नही है तभी सब के सब अपनाआत्मसंतुलन खो बैठे हैं और नजाने क्या-क्या उटपटांग बोलते फिर रहे हैजिससे जनभावनाएं आहत हो रही हैं.राजेंद्र प्रसाद,सर्वपल्लीराधाकृष्णन,जयप्रकाश नारायण,लालबहादुर शास्त्री,सरदार पटेलऔर अब्दुल कलामजैसे विचारकों वाले इस देश में आज एक भी योग्य नेता नहीं है जो राजनितिकस्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित,जनहित में काम करे. ऐसे घटियाराजनितिक,सामाजिक संस्कृति के बढ़ने से देश को आर्थिक,सामाजिक-राजनितिकरूप से काफी ज्यादा नुक्सान हो रहा है. नियमों-कानूनों की धज्जियाँ उडाईजा रही है. दल बदल कानून फेल हो गया है. ऐसे में आज जरुरत है स्वास्थ्यराजनितिक विकास की, मानवीयता के विकास की और जब इसका विकास होगा तभीगावों-और शहरों का विकास होगा और जब इन सबका विकास होगा तो पूरे भारत काविकास होगा. इसलिए सबसे पहले लोगों को शिक्षित किया जाए,उनको रोजगारमुहैया कराई जाए और सभी के बीच राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित की जाए तभीहम अब्दुल कलाम साहब के सपनो का भारत वर्ष २०२० तक बना पाएंगे वरना इसदेश को इंडिया और भारत के बीच विभाजित होने से कोई नही बचा पायेगा.
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