Tuesday, February 24, 2009

गुजरा वक्त

गुजरा वक्त कभी वापस नहीं आए।
चाहे कोई चीखे और चिल्लाए ।
झडे फूल कभी खिलते नहीं हैं
गए लोग कभी मिलते नहीं हैं
चाहे कोई सारी उमर बुलाए।
मनालो उनको जो रूठे हैं
मिलालो उनको जो छूटे हैं
ऐसा न हो फ़िर मन पछताए ।
वक्त कभी भी रुका नहीं है
किसी के आगे झुका नहीं है
वक्त का दरिया आगे बढ़ता जाए।
गुजरा वक्त .....

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