Saturday, November 29, 2008

राष्ट्रीय बेशर्मी

मुंबई में समुद्र के रास्ते कितने लोग घुसे थे इस बात का तो अभी तक पता नहीं चल पाया है,लेकिन हथियार से खेलने वाले सभी शैतानों को ध्वस्त कर दिया गया है। हो सकता है कुछ शैतान बच निकले हो और किसी बिल में घुसे हो। हर पहलु को ध्यान में रखकर सरकारी तंत्र काम कर रहा है। बहुत जल्द मुंबई पटरी पर आ जाएगी। यहां की आबादी की जरूरते मुंबई को एक बार फिर से सक्रिय कर देंगी। फिर से इसमें गति और ताल आ जाएगा। लेकिन क्या अब हम आराम से यह सोच कर बैठ सकते हैं कि गुजरात, बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों का कोई शहर नहीं जलेगा या नहीं उड़ेगा?
यह कंप्लीट वार है, और इसे एक आतंकी हमला मानकर भूला देना बहुत बड़ी राष्ट्रीय बेशर्मी होगी। और हम से कोई भी इस बात का यकीन नहीं दिला सकता कि अगला निशाना कौन सा शहर होगा, लेकिन हमला होगा और जरूर होगा। ये कंट्री के हेरिटेज पर पर हमला है, जो वर्षों से जारी है और जारी रहेगा। वर्षों से हमारे हेरिटेज पर हमले होता आ रहे है,चाहे वो संसद हो या फिर मुंबई का ताज। यह एक ही कड़ी है। और इस कड़ी का तार लादेनवादियों से जुड़ा है। इस्लाम में फतवे जारी करने का रिवाज है। क्या इसलाम की कोई धारा इनके खिलाफ फतवे जारी करने को कहता है,यदि नहीं कहता है तो इसलाम में संशोधन की जरूरत है। इतना तो तय है कि यह हमला इस्लाम के नाम पर हुआ है। जो धारा जीवित लोगों को टारगेट बना रहा है, उसे मिट्टी में दफना देने की जरूरत है। भारत एक ग्लोबल वार में फंस चुका है, अपनी इच्छा के विरुद्ध। मुंबई घटना को इसी नजरिये से देखा जाना चाहिए।
यह वार है और चौतरफा वार है। बस पहचानने की जरूरत है। ठीक वैसे ही जैसे चर्चिल ने हिटलर के ऑपरेशन 16 को पहचाना था, और उसके ऑपरेशन को ध्वस्त करने लिए काउंटर ऑपरेशन लॉयन बनाया था। उन लोगों का टारगेट क्या है ? कभी लंदन को उड़ाते हैं, कभी ट्वीन टावर उड़ाते हैं, कभी जर्मनी को उड़ाते हैं,कभी मुंबई को। ये कौन लोग हैं और क्या चाहते हैं ? इसे आईटेंटीफाई किया जाना चाहिए। और इसके खिलाफ व्यवस्थित तरीके से इंटरनेशनली इनवोल्व होना चाहिए। चीन और जापन में इस तरह के हमले क्यों नहीं हो रहे हैं ??
क्‍या इससे कुछ भी कम राष्ट्रीय बेशर्मी हैं ?

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