Friday, September 9, 2016

तुम्हारे जैसे हमने देखनेवाले नहीं देखे

तुम्हारे जैसे हमने देखनेवाले नहीं देखे ,
जिगर में किस तरह से रंजो ग़म पाले नहीं देखे ,
यहाँ पर जात मजहब का हवाला सबने देखा है,
किसी ने भी हमारे पाओं के छाले नहीं देखे ...... II

किरण चाहूं तो दुनिया के अँधेरे घेर लेते हैं,...
मेरी तरह कोई जी ले तो जीना भूल जायेगा II

कदम उठने नहीं पाते के रस्ता काट देता है,
मेरे मालिक मुझे आखिर तू कब तक आजमाएगा II

अगर टूटे किसी का दिल ,तो शब् भर आँख रोती है |
ये दुनिया है गुलो की जो इसमें काटे पिरोती है ||
हम मिलते है अपने गाँव में दुश्मन से भी इठला कर |
तुम्हारा शहर देखा तो बड़ी तकलीफ होती है ||

साथ भी छोड़ा भी तो कब,जब सब बुरे दिन कट गए |
ज़िन्दगी तूने कहाँ आकर दिया धोखा मुझे ||

हमें इस चिश्त से उम्मीद क्या थी और क्या निकला |
कहाँ जाना हुआ था तय कहाँ से रास्ता निकला ||
खुदा जिनको समझते थे वो शीशा थे न पत्थर थे |
जिसे पत्थर समझते थे वही अपना खुदा निकला ||

जिसने इस दौर के इन्सान किये है पैदा वो मेरा भी खुदा होगा मुझे मंज़ूर नहीं |

Saturday, September 20, 2014

माँ


वो माँ , जो सूर्योदय से पहले जगाकर कहती -
हथेलियों में देखकर बोलो , 'कराग्रे वस्ते लक्ष्मी' ,

वो माँ , जो बिस्तर से नीचे उतरने से पहले
धरती को छूतीं और कहती, ' पादस्पर्शं क्षमस्वमेव',

वो माँ , जो जन्मदिन पर करवाती है 'रामायण का पाठ',
ताकि दिन शुभ हो !

वो माँ , जो परीक्षा से पहले लगाती टिका और खिलाती दही ,
ताकि भविष्य मंगलमय हो !

पर स्वयं उनके लिए भविष्य बुन रहा था,
हिकारत , उपेक्षा , उपहास का घना जाल
क्योंकि बदलते वक़्त के संग नहीं कर सकी कदमताल ,
नहीं सीख सकी 'शह' और 'मात' कि चाल !!!

मेरे अपने गाँव

अमरैया में आम टिकोरा जामुन -महुआ बारी में 
भिनसारे में कोयल बोले राग उठे जंतसारी में 
नीम निबोली , भर भर झोली , कागा बोले काँव के

ऐसा लगता तुम लगते हो मेरे अपने गाँव के 
ताल तलैया बरधा गइया नीम वाली छावं के !!!

Monday, February 27, 2012

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Wednesday, December 28, 2011

आओ बनाएं फर्ज़ी बॉयोडेटा!



बरसों से ये बात विवाद का विषय रही है कि आखिर बॉयोडेटा बनाते वक़्त किस अनुपात में झूठ का इस्तेमाल किया जाये ? विवाद इस बात पर नहीं है कि झूठ का इस्तेमाल किया जाये या नहीं, विवाद अनुपात पर है।

बहरहाल, इसमें भी दो स्थितियां है। पहली ये कि अगर आपकी सारी ज़िदंगी पढ़ते हुए चश्मे का नम्बर बढ़वाते गुज़री है तो हो सकता है इस सवाल का सामना न करना पड़े। लेकिन अगर कुंजिया ही पास करवाती रही है तो ज़ाहिर तौर पर आपकी माकर्शीट दिखाने लायक कम और छिपाने लायक ज़्यादा होगी। ऐसे में बॉयोडेटा बनाते वक्त आपके सामने ये चुनौती है कि शर्मनाक नम्बरों के बावजूद कैसे आप खुद को काबिल दिखाये ?


अगर आप अभी कॉलेज से निकले हैं और बॉयोडेटा में इस सवाल का सामना कर रहे हैं कि आपका करियर ऑबजैक्टिव क्या है, तो हो सकता है कि ये सवाल आपको रूला डाले। आपको खुद पर शर्म आने लगे।

अरे! ये क्या बला है। कॉलेज में फिल्में देखते वक़्त और लड़कियों को पटाने की सम्भावना पर विचार करने के बीच कभी सोचा ही नहीं कि सृष्टि में ऐसा सवाल भी है जो आपसे पूछे.. बता भाई…. तेरी ज़िंदगी का मक़सद क्या है?

अब तक जिस तरह की खुशियों की कामना में दिन गुज़ारते रहे हैं, अगर उसे ही करियर ऑबजैक्टिव में लिख दें तो हो सकता है नौकरी देने वाला आदमी जेल में डाल दें। लुच्चा कहीं का!
खैर, यही वक्त है कि जब आप अपने सीमित कम्पयूटर ज्ञान का इस्तेमाल कर कट, कॉपी, पेस्ट करें और नैट पर सर्फ करते हुए किसी और के बॉयोडेटा से करियर ऑबजैक्टिव टीप लें। वैसे भी इस ‘टीपनें’ शब्द से तो आपकी पुरानी जान-पहचान है। लिहाज़ा ज़्यादा दिक़्कत नहीं आयेगी। लेकिन इसे फाइनल करने से पहले अपने किसी पढ़े लिखे दोस्त से (अगर कोई हो तो) ये कन्फर्म करवा लें कि उसका मतलब क्या है?

इसके बाद आता है प्रोफैशनल एक्सपीरियंस। अगर आप कुछ काम कर चुके हैं तो आपको इसे भी भरना पड़ेगा। अगर काम का ज़्यादा अनुभव नहीं है तो बेझिझक आप अपने एक्सपीरियंस को तीन से गुणा कर सकते हैं। मसलन 6 महीने हैं तो आप डेढ़ साल लिख सकते हैं। साल हुआ है तो तीन साल, और डेढ़ साल हुआ है तो पांच साल भी लिखा जा सकता है। मगर जिन लोगों के पास सचमुच ज़्यादा एक्सपीरियंस है वो इस ऑपशन को ट्राई न करें। कई बार ऐसा करने से आपका टोटल एक्सपीरियंस आपकी उम्र से भी ज़्यादा हो जाता है! लिहाज़ा ध्यान रखें।

कई और फालतू बातों के अलावा आपको अपनी ताकत और कमज़ोरी भी बतानी होती है। ताकत आप कुछ भी बता सकते हैं मगर कमज़ोरी ऐसी लिखें जो आपकी ताकत ही लगे। मसलन, मुझे लगता है कि मैं बहुत भावुक इंसान हूं या मैं लोगों पर बहुत जल्दी भरोसा कर लेता हूं।

तमाम प्रपंचों के अलावा अपना एक अच्छा सा फोटो भी बॉयोडेटा के साथ लगा दें। लेकिन ध्यान रहे, वो इतना अच्छा भी न हो कि इंटरव्यू लेने वाला पूछ बैठे…. आपने यहां आपने छोटे भाई की फोटों क्यों लगा दी है ?

Friday, November 11, 2011

कीमती समय क्यों नष्ट करूं?

प्राचीन यूनान में सुकरात अपने ज्ञान और विद्वता के लिए बहुत प्रसिद्द था. सुकरात के पास एक दिन उसका एक परिचित व्यक्ति आया और बोला, “मैंने आपके एक मित्र के बारे में कुछ सुना है.”

... “दो पल रुको”, सुकरात ने कहा, “मुझे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि हम एक छोटा सा परीक्षण कर लें जिसे मैं ‘तीन छन्नियों का परीक्षण’ कहता हूँ”.

“तीन छन्नियाँ? कैसी छन्नियाँ?”, परिचित ने पूछा.

“हाँ”, सुकरात ने कहा, “मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताने से पहले हमें यह तय कर लेना चाहिए कि तुम कैसी बात कहने जा रहे हो. किसी भी बात को जानने से पहले मैं यह तीन छन्नियों का परीक्षण करता हूँ. इसमें पहली छन्नी सत्य की छन्नी है. क्या तुम सौ फीसदी दावे से यह कह सकते हो कि जो बात तुम मुझे बताने जा रहे हो वह पूर्णतः सत्य है?

“नहीं”, परिचित ने कहा, “दरअसल मैंने सुना है कि…”

“ठीक है”, सुकरात ने कहा, “इसका अर्थ यह है कि तुम आश्वस्त नहीं हो कि वह बात पूर्णतः सत्य है. चलो, अब दूसरी छन्नी का प्रयोग करते हैं जिसे मैं अच्छाई की छन्नी कहता हूँ. मेरे मित्र के बारे में तुम जो भी बताने जा रहे हो क्या उसमें कोई अच्छी बात है?

“नहीं, बल्कि वह तो…”, परिचित ने कहा.

“अच्छा”, सुकरात ने कहा, “इसका मतलब यह है कि तुम मुझे जो कुछ सुनाने वाले थे उसमें कोई भलाई की बात नहीं है और तुम यह भी नहीं जानते कि वह सच है या झूठ. लेकिन हमें अभी भी आस नहीं खोनी चाहिए क्योंकि छन्नी का एक परीक्षण अभी बचा हुआ है. और वह है उपयोगिता की छन्नी. जो बात तुम मुझे बतानेवाले थे, क्या वह मेरे किसी काम की है?”

“नहीं, ऐसा तो नहीं है”, परिचित ने कहा.

“बस, हो गया”, सुकरात ने कहा, “जो बात तुम मुझे बतानेवाले थे वह न तो सत्य है, न ही भली है, और न ही मेरे काम की है, तो मैं उसे जानने में अपना कीमती समय क्यों नष्ट करूं?”

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Saturday, October 29, 2011

खूबसूरत पराई युवती को निहारने से बचें

पराई युवती को निहारने से बचना चाहिए, उसपर अगर वह खूबसूरत भी हो तो मामला और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि इससे आपके हॉर्मोन का स्तर में सिर्फ 5 मिनट में इतना अधिक बढ़ सकता है, कि आपके दिल के लिए दर्द का सबब बन जाए।

न्यूज पेपर 'डेली मेल' ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन के शोधकर्ताओं ने अपने स्टडी में यह निष्कर्ष निकला है कि अजनबी खूबसूरत महिलाओं को देखकर पुरुष का मन विचलित हो जाता है, जो उड़ते प्लेन से नीचे कूदने जैसा है। स्टडी में कहा गया है कि इससे खून में मौजूद कॉर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर बढ़ने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मानसिक तनाव लंबे समय तक रहने से कॉर्टिसोल का स्तर लगातार बढ़ है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे हाइपर टेंशन और शरीर में कई अन्य गड़बड़ियां पैदा हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए 84 छात्रों पर अध्ययन के अंतर्गत उन्हें खूबसूरत अजनबी महिलाएं दिखाकर, उनके कॉर्टिसोल के स्तर में हुए बदलाव को दर्ज किया।